"मैं शहर हूँ मैं गांव से बहुत आगे निकल चुका हूँ , गांव को तो मैं हजार कदम पीछे छो "मैं शहर हूँ मैं गांव से बहुत आगे निकल चुका हूँ , गांव को तो मैं हजा...
छोड़ दो बुआई खुशी स्वचालित है। छोड़ दो बुआई खुशी स्वचालित है।
वादा है कविता का कवि से मैं तुम्हें गिरने नहीं दूँगी। वादा है कविता का कवि से मैं तुम्हें गिरने नहीं दूँगी।
ईश्वर रमता है कण-कण में हर मौसम की जीत अनोखी। ईश्वर रमता है कण-कण में हर मौसम की जीत अनोखी।
रँगा था मैंने काग़ज़ हमारे एहसास का इत्र सा महकता रँगा था मैंने काग़ज़ हमारे एहसास का इत्र सा महकता
पर मुफलिसी में "अना " जैसी बन्दिशें थीं कई। पर मुफलिसी में "अना " जैसी बन्दिशें थीं कई।